वैसे कुछ दिनों सर्दी का तापमान कुछ खास नहीं था कहने का तात्पर्य यह है की सर्दी अधिक नहीं थी लेकिन कुछ घंटों के दरमियान मौसम का रुख बदल गया था अभी मैं सर्दी को चिड़ा रहा था अब सर्दी मुझे चिड़ाने लगी थी जैसे तैसे रात के बाद 14 जनवरी की सुबह की शुरुआत हुई अर्थात आज मकर संक्रांति का त्योहार है वैसे सनातन व्यवस्था मे सभी त्योहारों का एक अलग ही महत्व है जिसमें एक कॉमन है कि त्योहार कुछ भी हो आपको बड़े भोर नहा धोकर तैयार होना ही
अब मैं इस नहाने की जंग से भी जीत गया था चटकती धूप में बैठे हुए मनु जी का उपन्यास वेंटिलेटर इश्क पढ रहे थे तभी पास में रखे फोन से वाइब्रेशन की आवाज आई वैसे ये कॉल हमारे निहत्थे झूठे मित्र राजा की थी जिनकी 100 बातों में से 4 पर ही भरोसा किया जा सकता है
सर जी बाला जी चले क्या, " फोन के उस ओर से अबाज आई"
हाँ चलो, " हमने भी हामी भर दी क्योंकि मैं जानता था कि पूछने बाला स्मार्ट बॉय अपनी जुबान का कैसा है...
करीब 30 minut के पश्चात राजा चाचा से माँग कर अपनी खटारा पल्सर मोटर साइकिल से hurrrrr hurrr करते घर के सामने आ खड़ा हुआ मैं घर के बाहर पड़े खाली प्लॉट में बैठा हुआ किताब पढ रहा था.......
मैं विचार करने लगा कि क्या शेखर को भी साथ ले चले!
सोच विचार करके हमने उसे कॉल करके तैयार होने की बोल कर उसको लेने निकल गये।
अब संक्राति के दिन की यात्रा प्रारम्भ होती है जो एक राज्य से दूसरे राज्य में पहुच कर पूर्ण होनी थी
मैं देख रहा था की कड़ाके की सर्दी में भी बहुत मात्रा में लोग जा रहे थे क्योंकि भारत की यही संस्कृति और देशों से अलग करती है भारत को कोई भी त्योहार हो हर वर्ग का व्यक्ति उस त्योहार को धूम धाम से मनिता है चाहे उसकी पारिवारिक स्थिति कैसी भी हो
अभी तक जो बाइक प्रत्येक भीड़ के झुंड को देख कर hurr hurr कर रही थी वो अब अपने गंतव्य स्थान पर रुक गई थी
धक्का मुक्की करके जैसे तैसे मंदिर के अंदर पहुंचा
अब हम तीनों मंदिर के पास जो पहुज नदी निकली हुई जिसमें स्नान कर बाला जी महाराज को जल चढ़ाने की अवस्था बहुत चर्चित है हम तीनों नदी के एक घाट पर जाकर खड़े हो गये और जो नजारा सामने था वो कोई नया नहीं था हर एक नदी किनारों पर ऐसा ही माहौल था लोग नहा रहे थे कुछ नये लड़के नहाती हुई ल़डकियों को एक टुक घूर रहे थे जिससे देखने पर लग रहा था कि अब हमारी समाज कोई
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