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HAMARI TEAM DWARA RESCUE KII GAYI RAMPYARI NE HAME BEZUBAN KI TAKLEEF KO KAREEB SE DEKHKAR HAME KUCH NAYA SIKHAYA




एक बंदरिया जिसका नाम हमने रामप्यारी रखा जिसकी जिंदगी में कुछ ऐसा बदलाव आया एक दिन जो इसने कभी सोचा भी न होगा की यह अपना एक हाथ और पंजा को देगी इतने दर्दनाक हादसे को झेलकर रामप्यारी जिंदगी की जंग जीत गई जिसकी हमे उम्मीद नहीं थी |
रामप्यारी को झांसी के हिंदू संगठन के कार्यकर्ताओं द्वारा हमारे पास लाया गया था रात 11 बजे जो की बिजली के खंबे से करंट लगने से जल कर नीचे गिरी और घायल हो गई जंगली जीव होने के कारण किसी ने रामप्यारी की मदद करने की नही सोची वही झांसी के संगठन के कार्यकर्ताओं द्वारा इसको रेस्क्यू करके 11 बजे रात को हॉस्पिटल लाया गया जहा इसका इलाज रात में न हो सका रात को ही ट्रॉमा सेंटर की देखरेख करने वाले भैया द्वारा हमारी टीम से संपर्क साधा और हमारी टीम द्वारा रात को इन्हे शरण दी गई एक मंदिर के कमरे में अगले दिन हमारे द्वारा इनको हॉस्पिटल ले जाया गया और वहा इनका उपचार जारी हुआ डॉक्टर का कहना था की सर्जरी की जानी है हाथ को काटना पड़ेगा और जिंदगी सिर्फ ऊपरवाले के हवाले थी उसकी हमने सर्जरी शुरू करवाई सर्जरी होने के बाद रामप्यारी को शेल्टर होम दिया गया हमारे घर में ही क्युकी शेल्टर पर डॉग्स के साथ रखना उचित नहीं था और महीनो की मेहनत के बाद रामप्यारी ठीक हो गई

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Nandi Maharaj kaafi dino se ghayal padhe hue the

कुछ दिनों से नंदी महाराज ओरछा में एक आश्रम के पास घायल पड़े हुए थे जिसकी जानकारी हमे वहा रह रही एक साध्वी माता जी ने दी की नंदी महाराज काफी दिनों से उठ नही पा रहे है वही बारिश में डाले भीग रहे है और ठंड काफी ज्यादा है जिसके बाद हमारी श्री महाकाल गौ सेवा संस्थान की टीम झांसी से 18 किलोमीटर दूर ओरछा के लिए निकल गई जहा जाकर देखा नंदी महाराज काफी ज्यादा कष्ट में है और उनका उपचार शुरू करवाया गया मगर कहा जाता है की एक बार गाय या नंदी कुछ दिनों के लिए लेट जाए तो उनका उठना संभव नहीं होता और नंदी महाराज काफी दिनों तक कष्ट झेलने के बाद और दर्द नहीं झेल सकते थे और अगले ही दिन उन्होंने शाम को अपने प्राण त्याग दिए ।  समय पर सूचना न मिलना और समय पर इलाज न मिलना बेजुबानों की जिंदगी खतम कर देता है और ऐसी हालत में बेजुबान तड़प कर अपने प्राण त्यागता है ।     Comments Author Pushpendra April 16, 2021 at 11:39 AM Gjb❤ REPLY Post a Comment

NAAG PANCHMI KA KADWA SACH

सांप दरअसल मांसाहारी जीव होते हैं. सांप को भूख लगने पर वो मेंढक, चूहे, पक्षी, छिपकली, अपने से छोटे सांप का शिकार कर पेट भरते हैं. वहीं प्‍यास बुझाने के लिए सांप सिर्फ पानी पीते हैं, लेकिन भारत में सांपों से जुड़ी एक ऐसी परंपरा है, जिसके तहत सदियों से सांपों को दूध पिलाने की प्रथा है. नाग पंचमी पर तो सपेरे सांपों को लेकर गली-गली घूमते हैं और दूध पिलवाते हैं. इससे उन्‍हें पैसे और अनाज मिलता है. विशेषज्ञों के मुताबिक सांपों को दूध पिलाना गलत और सांपों के लिए नुकसानदायक है. इतना ही नहीं दूध पीने के कारण सांपों की मौत हो सकती है. सर्प विशेषज्ञ डॉ. विशाल पटेल के मुताबिक सांप ही नहीं किसी भी सरीसृप के लिए दूध नुकसानदायक होता है. उनका कहना है कि सरीसृप ना तो खुद दूध का उत्पादन करते हैं और ना ही इनमें दूध को पचाने वाले एंजाइम्स बनते हैं  दरअसल सपेरे नाग पंचमी से पहले सांपों के दांत तोड़ने के साथ ही उनकी जहर की ग्रंथि भी निकाल देते हैं. वहीं सपेरे नागपंचमी से पहले सांपों को कई दिन भूखा-प्यासा रखते हैं ताकि वे भूख के कारण कुछ खा पी लें.  विशेज्ञषों के मुताबिक दूध पीने से सांप के फेफड़े औ...