सांप दरअसल मांसाहारी जीव होते हैं. सांप को भूख लगने पर वो मेंढक, चूहे, पक्षी, छिपकली, अपने से छोटे सांप का शिकार कर पेट भरते हैं. वहीं प्यास बुझाने के लिए सांप सिर्फ पानी पीते हैं, लेकिन भारत में सांपों से जुड़ी एक ऐसी परंपरा है, जिसके तहत सदियों से सांपों को दूध पिलाने की प्रथा है. नाग पंचमी पर तो सपेरे सांपों को लेकर गली-गली घूमते हैं और दूध पिलवाते हैं. इससे उन्हें पैसे और अनाज मिलता है.
विशेषज्ञों के मुताबिक सांपों को दूध पिलाना गलत और सांपों के लिए नुकसानदायक है. इतना ही नहीं दूध पीने के कारण सांपों की मौत हो सकती है. सर्प विशेषज्ञ डॉ. विशाल पटेल के मुताबिक सांप ही नहीं किसी भी सरीसृप के लिए दूध नुकसानदायक होता है. उनका कहना है कि सरीसृप ना तो खुद दूध का उत्पादन करते हैं और ना ही इनमें दूध को पचाने वाले एंजाइम्स बनते हैं
दरअसल सपेरे नाग पंचमी से पहले सांपों के दांत तोड़ने के साथ ही उनकी जहर की ग्रंथि भी निकाल देते हैं. वहीं सपेरे नागपंचमी से पहले सांपों को कई दिन भूखा-प्यासा रखते हैं ताकि वे भूख के कारण कुछ खा पी लें.
विशेज्ञषों के मुताबिक दूध पीने से सांप के फेफड़े और आंत भी खराब हो जाते हैं. फिर कुछ दिनों बाद उनकी मौत हो जाती है. इसलिए विशेज्ञषों का कहना कि सांप को दूध पिलाना उनकी हत्या करने जैसा है.
अमेरिका के पेनसिल्वेनिया में लेघ यूनिवर्सिटी के डेविड कडल ने 2012 में प्रकाशित एक लेख में कहा कि प्रकृति जीवों में उन्हीं अंगों और रसायनों का निर्माण करती है, जिसकी उन्हें जरूरत होती है. सांप के आमाशय या आंत में दूध को पचाने वाले रसायन बनते ही नहीं है. ऐसे में सांप दूध पीते ही नहीं हैं.
हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी हमारी संस्था श्री महाकाल गौ सेवा संस्थान द्वारा वन विभाग के साथ संगठित होकर सांपो को मुक्त कराने कार्य किया और 33 सांपो को मुक्त करवाया गया
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